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विभिन्न अवस्थाओं में भाषा विकास

शैशवावस्था में भाषा विकास-

जन्म के समय बालक क्रन्दन करता है। यह उसकी पहली भाषा होती है। इस समय न तो उसे स्वरों का ज्ञान होता है और न व्यंजनों का। 25 सप्ताह तक शिशु जिस प्रकार की ध्वनियां निकालता है, उनमें स्वरों की संख्या अधिक होती है । 10 मास की अवस्था में शिशु पहला शब्द बोलता है, जिसे वह बार-बार दोहराता है। शैशवावस्था में भाषा विकास जिस ढंग से होता है। उस पर उसकी संस्कृति व सभ्यता का प्रभाव पड़ता है। शिशु की भाषा पर उसकी बुद्धि, परिवार व विद्यालय का वातारण प्रभाव डालता है। जिन बच्चों में तुतलाना एवं हकलाना आदि दोष होते हैं, उनमें भाषा विकास की गति धीमी होती है। गतिविधि— प्रशिक्षक प्रशिक्षुओं से चर्चा करें कि शिशु के भाषा विकास के लिए किस प्रकार की शैक्षिक गतिविधियां कराई जा सकती है। दैनिक जीवन में प्रयोग आने वाले शब्दों को शिशुओं से दोहराने को कहना। (1 वर्ष से ऊपर के शिशुओं के लिए) छोटी-छोटी कहानी व कविता सुनाकर फिर बच्चों से दोहराने को कहना । ( 3-4 वर्ष के बच्चों से)

बाल्यावस्था में भाषा विकास-

आयु के साथ-साथ बालकों के सीखने की गति में वृद्धि होती है। इस अवस्था में बालक शब्द से लेकर वाक्य विन्यास तक की सभी क्रियाएं सीख लेता है ।

हाइडर नामक मनोवैज्ञानिक ने अध्ययन करके निम्न परिणाम प्राप्त किये-

1-लड़कियों की भाषा का विकास बालकों की अपेक्षा तेजी से होता है ।

2-लड़कों की अपेक्षा लड़कियों के वाक्यों में शब्द संख्या अधिक होती है। 

3-अपनी बात को ढंग से प्रस्तुत करने की क्षमता लड़कियों में अधिक होती है।

4-भाषा के विकास में समुदाय, घर, विद्यालय परिवार की आर्थिक व सामाजिक स्थिति का प्रभाव अधिक पड़ता है। वस्तुओं को देखकर उनका प्रत्यय ज्ञान उन्हें हो जाता है और उसके बाद उसकी अभिव्यक्ति में आनन्द आता है । प्रत्यय ( concept) ज्ञान स्थूल से सूक्ष्म की ओर विकसित होता है। इस प्रकार भाषा ज्ञान मूर्त से अमूर्त की ओर होता है ।

किशोरावस्था में भाषा विकास-

इस अवस्था में बच्चे अपनी भाषा को अधिक साहित्यिक बना लेते हैं। किशोर-किशोरी में होने वाले शारीरिक परिवर्तनों से जो संवेग उत्पन्न होते हैं, उससे उनकी कल्पना शक्ति का विकास होने लगता है और वो कविता,कहानी व चित्र के माध्यम से अपनी भावनाओं को व्यक्त करते हैं । किशोरावस्था में शब्दकोष भी विकसित होता है वे कभी-कभी गुप्त ( code ) भाषा का भी प्रयोग करते हैं। यह भाषा कुछ प्रतीकों (symbols) के माध्यम से लिखी जाती है। जिसका अर्थ वे ही जानते हैं जिनको कोड आता है। भाषा विकास का प्रभाव उसके चिन्तन पर भी पड़ता है ।