बालक/बालिकाओं के मानसिक योग्यताओं का पता लगाने के लिए हम उनकी बुद्धि का पता लगाते हैं।
हम अक्सर यह कहते हैं कि अमुक व्यक्ति बहुत बुद्धिमान है व दूसरा व्यक्ति कम बुद्धिमान । सामान्यतः सीखने, तर्क करने, चिन्तन करने, कल्पना करने व अमूर्त चिन्तन करने की योग्यता बुद्धि कहलाती है ।विभिन्न मनोवैज्ञानिकों ने बुद्धि की परिभाषाएं दी हैं-
वुडवर्थ (Wood worth) "बुद्धि कार्य करने की विधि है"
टरमन (Terman)—– “बुद्धि अमूर्त विचारों के बारे में सोचने की योग्यता है ।"
बिने (Binet) "बुद्धि इन चार शब्दों में निहित है - ज्ञान, आविष्कार, निर्देश और आलोचना ।"
रायबर्न (Ryburn) “बुद्धि वह शक्ति है जो हमको समस्याओं का समाधान करने और उद्देश्यों को प्राप्त करने की क्षमता देती है ।
मोटे तौर पर बुद्धि में निम्नलिखित प्रकार की योग्यता आती है-
सीखने की योग्यता
अमूर्त चिन्तन करने की योग्यता
समस्या का समाधान करने की योग्यता
अनुभव से लाभ उठाने की योग्यता
सम्बन्धों को समझने की योग्यता
अपने वातावरण से सामजस्य करने की योग्यता
बुद्धि लब्धि ( I. Q. ) – विभिन्न मानसिक योग्यता परीक्षणों के माध्यम से हम व्यक्ति की मानसिक आयु का पता लगा लेते हैं। जैसे यदि कोई 8 वर्ष का बालक 10 वर्ष की आयु के लिए निर्मित मानसिक योग्यता परीक्षण कर लेता है। तो उसकी वास्तविक आयु 8 वर्ष व मानसिक आयु 10 वर्ष मानी जायेगी।
बुद्धि परीक्षण (Intelligence Test) - किसी भी व्यक्ति की बुद्धि का पता लगानें के लिए विभिन्न प्रकार के बुद्धि परीक्षणों का निर्माण किया गया है। विभिन्न मनोवैज्ञानिकों ने समय समय पर विभिन्न बुद्धि परीक्षण बनाये। इनको मुख्य रूप से दो वर्गों में विभाजित किया जाता है
1.वैयक्तिक बुद्धि परीक्षण
2.सामूहिक बुद्धि परीक्षण
वैयक्तिक बुद्धि परीक्षण (Individual Intelligence Test) - परीक्षण एक समय में एक ही व्यक्ति पर किया जा सकता है। इसका आरम्भ बिने (Binet) ने किया ।
सामूहिक बुद्धि परीक्षण ( Group Intelligence Test) - यह परीक्षा एक समय में अनेक व्यक्तियों की ली जाती है। इसका प्रारम्भ प्रथम विश्वयुद्ध के समय अमेरिका में हुआ। कारण यह था कि सरकार मनुष्यों की मानसिक योग्यताओं के अनुसार उनको सेना में सैनिक अफसरों व कर्मचारियों के अन्य पदों पर नियुक्त करना चाहती थी ।
वैयक्तिक व सामूहिक दोनों प्रकार के परीक्षणों के दो रूप हो सकते हैं -
1. भाषात्मक (Verbal)
2. क्रियात्मक (Non Verbal)
भाषात्मक परीक्षण(Verbal Test) इसमें भाषा का प्रयोग किया जाता है व अमूर्त बुद्धि की परीक्षा ली जाती है। इसका मुख्य उद्देश्य है, कि व्यक्ति को लिखने पढ़ने का कितना ज्ञान है। उसे प्रश्नों के उत्तर लिखकर, गोला बनाकर गुणा बनाकर या रेखांकित करके देने होते हैं।
इस परीक्षा में निम्न प्रकार के प्रश्न पूछे जा सकते हैं- (1) अंकगणित के प्रश्न (2) व्यवहारिक ज्ञान से सम्बन्धित प्रश्न (3) निर्देश के अनुसार प्रश्नों के उत्तर (4) समानार्थी या विलोम शब्द (5) बेंतरतीव शब्दों को तरतीव में लिखना ।
क्रियात्मक परीक्षण (Non Verbal or Performance Test) इन परीक्षणों का प्रयोग उन व्यक्तियों पर किया जाता है, जिनको भाषा का ज्ञान कम होता है या जो पढ़ना लिखना नही जानते। इसके द्वारा मूर्त बुद्धि का पता लगाया जाता है। इस परीक्षण में वास्तविक वस्तुओं का प्रयोग किया जाता है और परीक्षार्थियों को समस्यापूर्ण कार्य करने को दिये जाते हैं। जैसे -
(1) चित्र के बिखरे हुए टुकड़ों को क्रम से लगाकर चित्र पूरा करना ।
( 2 ) किसी दिये हुए चित्र में असम्भव बात को बताना ।
(3) तिकोनी, चौकोर व गोल वस्तुओं को रखकर आकृति को पूरा करना ।
(4) भूल भुलैयों से होकर बाहर जाने का मार्ग बताना आदि ।
इन सभी परीक्षणों का प्रयोग अधिकतर प्रषिक्षित मनोवैज्ञानिक द्वारा ही किया जाना चाहिए । कुछ प्रमुख बुद्धि परीक्षणों के नाम
1.वैयक्तिक भाषात्मक परीक्षण (Individual Language Test)
2.वैयक्तिक क्रियात्मक परीक्षण 1. (Individual Performance Test)
3.समूहिक भाषात्मक परीक्षण ( Group Language Individual Language Test)
4.सामूहिक क्रियात्मक परीक्षण (Group Performance Test)
बुद्धि परीक्षणों की उपयोगिता (Utility of Intelligence Tests)
विभिन्न आयु वर्ग के लिए निर्मित परीक्षणों के माध्यम से हम बालक की बुद्धि का पता लगाकर उनके अनुकूल शिक्षा की व्यवस्था कर सकते हैं। इसी कारण से बुद्धि परीक्षण शिक्षा का महत्वपूर्ण साधन बन गये हैं जैसे-
• सर्वोत्तम बालक का चुनाव करने में ।
• पिछड़े बालकों का चुनाव करने में ।
अपराधी व समस्यात्मक बालकों का सुधार करने में।
• बालकों का वर्गीकरण करने में ।
• बालकों की विशिष्ट योग्यताओं का ज्ञान करने में ।
• बालकों की क्षमता के अनुसार कार्य करवाने में।
• बालकों की व्यावसायिक योग्यता का ज्ञान करने में ।
• बालकों की भावी सफलता का ज्ञान करने में ।
• अपव्यय का निवारण करने में ।
• राष्ट्र के बालकों की बुद्धि का ज्ञान करने में ।