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पावलोव का सिद्धांत

पावलोव का सिद्धांत: अनुकूलित अनुक्रिया का रहस्य

इवान पावलोव, एक रूसी मनोवैज्ञानिक, ने 20वीं सदी की शुरुआत में एक ऐसा सिद्धांत दिया जिसने सीखने के बारे में हमारी समझ को बदल कर रख दिया। यह सिद्धांत जाना जाता है अनुकूलित अनुक्रिया का सिद्धांत या क्लासिकल कंडीशनिंग के नाम से।

पावलोव का प्रयोग

 

पावलोव ने अपने प्रयोगों में कुत्तों का उपयोग किया। उन्होंने देखा कि जब कुत्ते को खाना दिया जाता है, तो उसके मुंह में लार आ जाती है। यह एक प्राकृतिक प्रतिक्रिया है।

फिर उन्होंने एक घंटी बजाने के बाद कुत्ते को खाना देने शुरू कर दिए। कुछ समय बाद, कुत्ते को सिर्फ घंटी की आवाज सुनकर ही मुंह में लार आने लगी, भले ही खाना न दिया गया हो।

इस प्रयोग से पावलोव ने निष्कर्ष निकाला कि:

  • अनुकूलित उद्दीपन: घंटी की आवाज एक तटस्थ उद्दीपन थी, जिससे पहले कुत्ते में कोई विशेष प्रतिक्रिया नहीं होती थी।
  • अनुकूलित अनुक्रिया: खाना एक प्राकृतिक उद्दीपन था जिसके कारण कुत्ते में लार आती थी।
  • अनुकूलन: बार-बार घंटी की आवाज के साथ खाना देने से घंटी की आवाज एक अनुकूलित उद्दीपन बन गई और कुत्ते ने घंटी की आवाज सुनकर भी लार निकालना शुरू कर दिया।

 

पावलोव के सिद्धांत के मुख्य तत्व

 

  • अनुकूलित उद्दीपन: वह उद्दीपन जो पहले तटस्थ होता है लेकिन बार-बार अनुकूलित अनुक्रिया के साथ जोड़ा जाने पर अनुकूलित अनुक्रिया उत्पन्न करता है।
  • अनुकूलित अनुक्रिया: वह स्वचालित प्रतिक्रिया जो अनुकूलित उद्दीपन के जवाब में होती है।
  • अनुकूलन: वह प्रक्रिया जिसके द्वारा एक तटस्थ उद्दीपन एक अनुकूलित उद्दीपन बन जाता है।

 

पावलोव के सिद्धांत का महत्व

 

पावलोव के सिद्धांत ने हमें सीखने की प्रक्रिया के बारे में बहुत कुछ सिखाया। इस सिद्धांत का उपयोग शिक्षा, विपणन, मनोचिकित्सा और कई अन्य क्षेत्रों में किया जाता है।

  • शिक्षा: शिक्षक इस सिद्धांत का उपयोग करके छात्रों में रुचि पैदा कर सकते हैं और उन्हें सीखने के लिए प्रेरित कर सकते हैं।
  • विपणन: विपणनकर्ता इस सिद्धांत का उपयोग करके उत्पादों के लिए सकारात्मक भावनाएं पैदा करने के लिए करते हैं।
  • मनोचिकित्सा: मनोचिकित्सक इस सिद्धांत का उपयोग करके फोबिया और अन्य मनोवैज्ञानिक समस्याओं का इलाज करने के लिए करते हैं।

सरल शब्दों में कहें तो, पावलोव के सिद्धांत के अनुसार, हम उन चीजों से जुड़ाव बना लेते हैं जो बार-बार एक साथ होती हैं।

उदाहरण के लिए:

  • यदि आप हर बार कॉफी पीते समय संगीत सुनते हैं, तो बाद में सिर्फ संगीत सुनकर भी आपको कॉफी पीने की इच्छा हो सकती है।
  • यदि आप किसी विशेष जगह पर जाकर हमेशा डर महसूस करते हैं, तो बाद में सिर्फ उस जगह पर जाने से भी आप डर सकते हैं।