वायगोत्स्की का सामाजिक-सांस्कृतिक सिद्धांत
लेव वायगोत्स्की एक रूसी मनोवैज्ञानिक थे, जिन्होंने बच्चों के संज्ञानात्मक विकास के बारे में एक अलग दृष्टिकोण प्रस्तुत किया। उन्होंने सामाजिक-सांस्कृतिक सिद्धांत दिया, जिसमें उन्होंने इस बात पर जोर दिया कि बच्चे सामाजिक और सांस्कृतिक संदर्भों में दूसरों के साथ बातचीत करके सीखते हैं।
वायगोत्स्की के सिद्धांत के मुख्य बिंदु
- सामाजिक संपर्क: वायगोत्स्की के अनुसार, बच्चे दूसरों के साथ बातचीत करके और सहयोग करके सीखते हैं।
- सांस्कृतिक उपकरण: भाषा, संख्या, और अन्य सांस्कृतिक उपकरण बच्चे को सोचने और समझने में मदद करते हैं।
- निकट विकास का क्षेत्र: यह वह क्षेत्र है जहां बच्चा स्वतंत्र रूप से समस्याओं का समाधान नहीं कर सकता है, लेकिन एक अधिक सक्षम व्यक्ति की मदद से कर सकता है।
- स्कैफोल्डिंग: यह एक प्रकार का समर्थन है जो एक अधिक सक्षम व्यक्ति बच्चे को प्रदान करता है ताकि वह एक नए कौशल को सीख सके।
पियाजे और वायगोत्स्की में अंतर
पियाजे ने बच्चों को एक अलग इकाई के रूप में देखा, जबकि वायगोत्स्की ने बच्चों को सामाजिक संदर्भ में देखा। पियाजे ने बच्चों के स्वतंत्र खोज पर जोर दिया, जबकि वायगोत्स्की ने सामाजिक बातचीत पर जोर दिया।
वायगोत्स्की के सिद्धांत का महत्व
वायगोत्स्की के सिद्धांत ने शिक्षा के क्षेत्र में एक नया आयाम जोड़ा है। इस सिद्धांत के आधार पर शिक्षक बच्चों को समूहों में काम करने और एक दूसरे से सीखने के अवसर प्रदान कर सकते हैं।
- सहयोगी सीखना: वायगोत्स्की के सिद्धांत ने सहयोगी सीखने की अवधारणा को लोकप्रिय बनाया।
- शिक्षक की भूमिका: शिक्षक को एक मार्गदर्शक के रूप में देखा जाता है जो बच्चों को उनके निकट विकास के क्षेत्र में मदद करता है।
- सांस्कृतिक उपकरणों का उपयोग: शिक्षक बच्चों को विभिन्न सांस्कृतिक उपकरणों का उपयोग करके सीखने में मदद कर सकते हैं।
वायगोत्स्की के सिद्धांत की आलोचना
वायगोत्स्की के सिद्धांत की भी कुछ आलोचनाएं हुई हैं। कुछ विद्वानों का मानना है कि वायगोत्स्की ने भाषा की भूमिका को बहुत अधिक महत्व दिया है और अन्य संज्ञानात्मक प्रक्रियाओं को नजरअंदाज किया है।
वायगोत्स्की का सिद्धांत शिक्षा के क्षेत्र में एक महत्वपूर्ण योगदान है और आज भी इसका व्यापक रूप से उपयोग किया जाता है।