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साहसी किशोर और जादुई तालाब

एक बार की बात है, एक छोटे से गाँव में एक साहसी किशोर, अजय, रहता था। अजय को साहसिक कार्यों का बहुत शौक था। गाँव के बाहर एक प्राचीन तालाब था, जिसके बारे में कहा जाता था कि वहाँ जादुई शक्तियाँ हैं। लोग कहते थे कि जो भी उस तालाब में छलांग लगाएगा, उसे अपने सबसे बड़े डर का सामना करना पड़ेगा।

एक दिन, अजय ने तय किया कि उसे उस तालाब की सच्चाई जाननी है। उसने अपने दोस्तों से कहा, "मैं आज तालाब जा रहा हूँ।" दोस्तों ने उसे रोकने की कोशिश की, लेकिन अजय ने उनकी बात नहीं मानी।

तालाब के किनारे पहुँचकर, अजय ने गहरे पानी में छलांग लगा दी। पानी में उतरते ही उसे एक अजीब-सी आवाज सुनाई दी। "तुमने साहसिकता दिखाई है, लेकिन अब तुम्हें अपने डर का सामना करना होगा।"

अजय ने महसूस किया कि वह अचानक एक अंधेरी गुफा में था। वहाँ उसे एक डरावना भूत दिखाई दिया। भूत ने कहा, "तुम्हारे डर का सामना करो, या हमेशा के लिए यहाँ फंसे रहोगे!"

अजय ने सोचा, "मुझे अपने डर का सामना करना है।" उसने गुफा के अंदर अपने डर को पहचानना शुरू किया। वह अपने असफलताओं, अकेलेपन और समाज के भय का सामना कर रहा था। जैसे-जैसे वह अपने डर को स्वीकारता गया, भूत कमज़ोर होता गया।

अंत में, अजय ने भूत से कहा, "मैं तुमसे नहीं डरता!" यह सुनकर भूत मुस्कराया और धीरे-धीरे गायब हो गया। अजय को अचानक एक रोशनी दिखाई दी, और वह फिर से तालाब के किनारे था।

उसने महसूस किया कि तालाब ने उसे एक बड़ा सबक सिखाया है: डर से भागने के बजाय, उसे अपने डर का सामना करना चाहिए।

गाँव लौटकर, अजय ने अपने दोस्तों को अपनी कहानी सुनाई और सभी ने उसकी बहादुरी की सराहना की। उसने समझा कि असली साहस डर का सामना करने में है, और इस अनुभव ने उसे और भी मजबूत बना दिया।