22 अगस्त, 1947 को भारत सरकार ने बच्चों के कल्याणार्थ राष्ट्रीय बाल नीति की घोषणा की । जिसके अन्तर्गत बालकों के पूर्ण शारीरिक, मानसिक एवं सामाजिक विकास हेतु, सर्वोत्त्म परिस्थितियों का निर्माण करने हेतु निम्नलिखित उपाय किए गए
1. बालक के जन्म से पूर्व तथा उसके बाद के विकास की पर्याप्त सेवाएँ प्रदान करना राज्य का प्रमुख दायित्व है ।
2. राज्य को 6-14 वर्ष की आयु के समस्त बालकों को निःशुल्क एवं अनिवार्य शिक्षा उपलब्ध कराने हेतु समयबद्ध कार्यक्रम तैयार करना चाहिए ।
3. बालकों को उनके माता-पिता से अलग नहीं रखा जाए, जब तक कि वे अपने जीवन यापन में सक्षम न हो।
4. राज्य द्वारा बालकों के पोषक तत्वों के अभाव को दूर करने के लिए पोषाहार कार्यक्रम चलाया जाए ।
5. जो बालक औपचारिक शिक्षा से लाभ उठाने में सक्षम नहीं होते हैं राज्य को उन्हें शिक्षा देने के लिए अन्य तरीके उपलब्ध कराए जाने चाहिए ।
6. राज्य द्वारा 14 वर्ष से कम आयु के किसी भी बच्चे को जोखिम पूर्ण उत्पादक कार्यों में लगाने की अनुमति नहीं दी जा सकती ।
7. प्रतिभासम्पन्न बच्चों का पता लगाने, प्रोत्साहन देने एवं सहायता देने के लिए राज्य को विशेष कार्यक्रम संचालित करना चाहिए ।
8. राज्य को मादक पदार्थों के सेवन एवं उत्पादन तथा व्यापार आदि से बच्चों को बचाना चाहिए ।
9. विद्यालयों में शारीरिक शिक्षा, खेलकूद, वैज्ञानिक एवं सामाजिक गतिविधियों को प्रोत्साहन देना
चाहिए ।
10. शिक्षा को ऐसे जीवन को तैयार करने वाली होना चाहिए, जिससे बच्चों में समझ, शान्ति एवं सहिष्णुता की भावना का विकास हो सके ।